आयु विशेष (age factors): कौन कहलाता है अल्पायु, मध्यमायु, पूर्णायु और दीर्घायु? ,age factor, ekaanshastro,
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आयु विशेष (age factors): जानिए कौन कहलाता है अल्पायु, मध्यमायु, पूर्णायु और दीर्घायु?

आयु विशेष (age factors): कौन कहलाता है अल्पायु, मध्यमायु, पूर्णायु और दीर्घायु? ,age factor, ekaanshastro,

ज्योतिष शास्त्र में बताई गई पाँच प्रकार की आयु वर्गीकृतियाँ

भारतीय ज्योतिष शास्त्र केवल ग्रह-नक्षत्रों की गणना का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उसका मार्गदर्शन देने का एक सशक्त माध्यम है। व्यक्ति की आयु—अर्थात जीवन की अवधि—भी ज्योतिष के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि किसी भी व्यक्ति की संभावित आयु उसकी जन्मकुंडली में स्थित ग्रहों, भावों और योगों के आधार पर अनुमानित की जा सकती है।

आयु के इस निर्धारण के अंतर्गत, ज्योतिषाचार्यों ने मानव जीवन को पाँच प्रमुख वर्गों में बाँटा है। प्रत्येक वर्ग व्यक्ति के जीवन की संभावित अवधि, स्वास्थ्य की दशा, ग्रहों की शुभाशुभ स्थिति और जीवन की प्रवृत्तियों को इंगित करता है। ये वर्ग इस प्रकार हैं:

1. अल्पायु (Short Life): आयु 0 से 32 वर्ष तक

जब किसी व्यक्ति की संभावित आयु 32 वर्ष से कम हो, तो उसे अल्पायु की श्रेणी में रखा जाता है। यह वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति का जीवनकाल संक्षिप्त होता है और उसमें अकाल मृत्यु का योग प्रबल होता है।

कुंडली में अल्पायु के संकेत:

  • आठवें भाव (आयु भाव) पर पाप ग्रहों जैसे शनि, राहु, केतु या मंगल का प्रभाव
  • लग्नेश या चंद्रमा का नीच या अस्त होना
  • मृत्यु कारक ग्रहों की दशा/अंतर्दशा का प्रारंभिक जीवन में आना
  • अशुभ योग, जैसे पाप कर्तरी योग, मारकेशों का प्रभाव

उपाय:

  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप
  • रुद्राभिषेक, हवन एवं सतत पूजा-पाठ
  • गरीबों को भोजन और वस्त्र का दान
  • जीवनशैली में संयम और आध्यात्मिकता का समावेश

2. मध्यमायु (Middle Life): आयु 32 से 64 वर्ष तक

जब किसी व्यक्ति की संभावित आयु 32 से 64 वर्ष के बीच हो, तो वह मध्यमायु की श्रेणी में आता है। इस वर्ग के लोग एक सामान्य और कार्यशील जीवन जीते हैं, जिसमें उतार-चढ़ाव बने रहते हैं।

कुंडली में मध्यमायु के संकेत:

  • शुभ ग्रहों की आंशिक स्थिति
  • लग्न व आयु भाव में न तो अधिक शुभ, न अधिक अशुभ प्रभाव
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जीवन में किसी-किसी चरण में उभर सकती हैं

विशेषताएँ:

  • आय और स्वास्थ्य में अस्थिरता
  • पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियाँ अधिक होती हैं
  • जीवन में संघर्ष और अवसर दोनों का समन्वय

3. पूर्णायु (Full Life): आयु 64 से 75 वर्ष तक

पूर्णायु का अर्थ है ऐसा जीवन जो सामान्यतः पूरा समझा जाता है। ये वे व्यक्ति होते हैं जो जीवन के लगभग सभी चरणों को देख चुके होते हैं और एक संतुलित जीवन जीते हैं।

कुंडली में पूर्णायु के संकेत:

  • मजबूत लग्न और लग्नेश
  • शुभ ग्रहों की स्थिति और दृष्टि
  • नियमित, संयमित जीवनचर्या और मानसिक संतुलन

लक्षण:

  • वृद्धावस्था तक स्वस्थ जीवन
  • परिवार में सम्मान और मार्गदर्शक की भूमिका
  • आत्मिक संतुलन और वैराग्य की प्रवृत्ति

4. दीर्घायु (Long Life): आयु 75 से 100 वर्ष तक

दीर्घायु श्रेणी में वे व्यक्ति आते हैं जो औसत से अधिक, यानी 75 से 100 वर्ष तक जीवित रहते हैं। ऐसे लोग न केवल दीर्घजीवी होते हैं, बल्कि उनका जीवन गुणवत्तापूर्ण और संतुलित होता है।

कुंडली में दीर्घायु के संकेत:

  • पंचमहापुरुष योग जैसे बुध-शुक्र, मंगल-शनि का प्रभावशाली योग
  • आयु भाव (आठवां भाव) में शुभ ग्रहों की दृष्टि या स्थिति
  • लग्न, चंद्र और सूर्य का बलवान होना
  • रोगेश ग्रह की शांत स्थिति

विशेषताएँ:

  • अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घकालीन सक्रियता
  • आध्यात्मिक झुकाव
  • समाज में आदर्श व्यक्तित्व और मार्गदर्शक की भूमिका

5. अति दीर्घायु (Very Long Life): आयु 100 वर्ष से अधिक

जो व्यक्ति 100 वर्ष से अधिक जीवित रहते हैं, वे अति दीर्घायु माने जाते हैं। वर्तमान युग में ऐसा होना एक दुर्लभ संयोग और विशेष पुण्य का फल माना जाता है।

कुंडली में अति दीर्घायु के संकेत:

  • दुर्लभ योग, जैसे अमर योग, बलभद्र योग, चिरंजीवी योग आदि
  • समस्त त्रिक भाव (6, 8, 12) पर शुभ ग्रहों की स्थिति
  • उच्च आध्यात्मिक चेतना, ध्यान, संयम और सत्कर्मों का प्रभाव
  • सूर्य, चंद्र और शनि का विशेष रूप से बलवान और शुभ होना

विशेषताएँ:

  • संत जैसे गुण, सेवा भावना और त्याग का भाव
  • जीवन का अधिकतर समय आत्मिक साधना में बिताना
  • समाज में प्रेरणास्त्रोत के रूप में प्रसिद्धि

निष्कर्ष:

ज्योतिष शास्त्र में आयु निर्धारण एक संभाव्य विश्लेषण है, न कि कोई अटल भविष्यवाणी। यह विश्लेषण हमें जीवन के प्रति सजग बनाता है और यह दर्शाता है कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है। परंतु, यह भी सत्य है कि केवल भाग्य या कुंडली नहीं, बल्कि व्यक्ति की जीवनशैली, मानसिक संतुलन, सत्कर्म, और आध्यात्मिकता भी उसकी आयु को प्रभावित करती है।

सकारात्मक सोच, संयमित आचरण, धार्मिकता और सेवा की भावना न केवल जीवन को दीर्घ बनाती है, बल्कि उसे सार्थक और प्रेरणादायक भी बनाती है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताई गई बातें/उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। ekaanshastro यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग कर निर्णय लें। ekaanshastro अंधविश्वास के खिलाफ है।

 

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