ज्योतिष: दरिद्रता और कर्ज से मुक्ति दिलाने वाला दिव्य स्तोत्र (मंत्र)
दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जिसकी रचना महर्षि वसिष्ठ द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कर्ज, दरिद्रता, मानसिक तनाव, आर्थिक बाधाओं और जीवन की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति प्राप्त होती है।
भगवान शिव को संहारकर्ता के साथ-साथ करुणामय, अभयदाता और जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है। उनकी उपासना विशेष रूप से उन लोगों के लिए कल्याणकारी मानी जाती है जो जीवन में संघर्ष, धन की कमी या पारिवारिक क्लेश से जूझ रहे होते हैं।
स्तोत्र का उद्देश्य और प्रभाव
“दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रम्” न केवल एक साधारण स्तुति है, बल्कि यह एक ऊर्जावान साधना है जो मन, वचन और कर्म से शिव की शरण में जाने की प्रेरणा देती है।
इसके पाठ से होने वाले लाभ:
- कर्ज और दरिद्रता से छुटकारा – आर्थिक तंगी दूर होती है।
- व्यवसाय और नौकरी में उन्नति – स्थिरता और सफलता प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति एवं आत्मबल – मन की बेचैनी और भ्रम दूर होते हैं।
- गृह क्लेश और दुर्भाग्य का नाश – परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है।
- धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति – सकारात्मक ऊर्जा और भाग्य जागृत होता है।
दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रम् (मूल पाठ)
1.
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय।
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
2.
गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय।
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
3.
भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
4.
चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय।
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
5.
पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय।
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
6.
भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
7.
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
8.
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।।
भावार्थ (संक्षिप्त अर्थ)
यह स्तोत्र भगवान शिव के उन दिव्य रूपों की स्तुति करता है जो:
- नरक से उद्धार करते हैं
- कष्टों और दरिद्रता का नाश करते हैं
- अमृतमयी वाणी से मन को शांति देते हैं
- चंद्रमा, गंगा, नाग, गज आदि को धारण करते हुए भक्तों को भयमुक्त करते हैं
- संसार के तीनों लोकों में पूज्य हैं
- शिव भस्म और चर्म वस्त्र धारण कर वैराग्य और आंतरिक शक्ति के प्रतीक हैं
- जो भक्तों को भक्ति, वैभव और आत्मिक बल प्रदान करते हैं
पाठ विधि (सही तरीका)
श्रेष्ठ समय:
- सोमवार या प्रदोष व्रत के दिन
- शिवरात्रि या किसी शुभ तिथि पर भी पाठ किया जा सकता है
पाठ विधि:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ करके शिवलिंग या शिव चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
- बेलपत्र, जल, अक्षत, और भस्म भगवान शिव को अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 108 बार जप करें।
- उसके बाद श्रद्धापूर्वक दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रम् का पाठ करें।
- पाठ के पश्चात शिव आरती करें।
- अंत में भगवान शिव से कर्ज मुक्ति, मानसिक शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
अनुशंसित अवधि और नियम
- नित्य नियमपूर्वक 21 दिन या 40 दिन तक पाठ करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
- पाठ के दौरान संयम, सात्विक आहार और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पाठ करते समय मन को एकाग्र और संकल्पित रखें।
निष्कर्ष
“दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रम्” न केवल एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि यह जीवन के संघर्षों में आशा और समाधान का दीपक है। जो भी श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में धीरे-धीरे धन, संतोष, सौभाग्य और आत्मिक शक्ति का वास होता है।
जय भोलेनाथ! हर हर महादेव!
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