पूजा के उपरान्त बची हुई पूजन सामग्री (leftover poojan samagri)का क्या करना चाहिए ?

पूजा के बाद बची हुई सामग्री का क्या करना चाहिए (leftover hawan poojan samagri), यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री अक्सर बहुत सी होती है, और इनमें से कई चीजें बच जाती हैं। इन बचे हुए सामानों को सही तरीके से नष्ट करना या उनका उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है, ताकि न तो वे व्यर्थ जाएं और न ही किसी प्रकार से कोई धार्मिक या पर्यावरणीय दोष उत्पन्न हो। तो, आइए जानते हैं कि पूजा के बाद बची हुई सामग्री का क्या करना चाहिए और उसे कैसे सही तरीके से उपयोग में लाना चाहिए।
1. फूल, माला और पत्तियाँ
पूजा में फूलों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह भगवान को अर्पित की जाने वाली एक प्रमुख सामग्री है। लेकिन पूजा के बाद फूल और माला अक्सर सूख जाते हैं या उनका आधा हिस्सा बच जाता है। इनका कूड़े में डालना उचित नहीं होता क्योंकि ये पहले से पूजित होते हैं। इसलिए,
- गमले में दबा दें: सूखे हुए फूल और माला को गमले की मिट्टी में दबा दें। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता और इनका पुनः उपयोग होता है।
- पेडों की जड़ों में अर्पित करें: श्रद्धा से इन फूलों और माला को किसी पीपल, तुलसी, या बरगद के पेड़ की जड़ में छोड़ सकते हैं। यह पेड़-पौधों को आशीर्वाद देने का एक सुंदर तरीका है।
2. दीपक में बचा हुआ तेल या घी
पूजा में दीपक जलाने के लिए तेल या घी का उपयोग किया जाता है, लेकिन कभी-कभी दीपक में बचा हुआ तेल या घी बच जाता है। यह तेल कूड़े में डालने की बजाय,
- दीपक में फिर से जलाकर समाप्त कर दें: बचा हुआ तेल या घी को फिर से दीपक में डालकर पूरी तरह से जलाकर समाप्त करें।
- पुनः पूजा में उपयोग करें: अगर तेल पूरी तरह से नहीं जल पाया है, तो आप इसे अगली पूजा में उपयोग कर सकते हैं।
- खाने में उपयोग न करें: पूजा का तेल या घी खाने के लिए उपयुक्त नहीं होता है, इसलिए इसका उपयोग खाना बनाने में न करें।
3. बाती/रुई
रुई या बाती, जो पूजा के दौरान दीपक में उपयोग की जाती है, वह जलने के बाद बच जाती है। इनका पुनः उपयोग करने से पहले,
- तुलसी के नीचे रखें: जलने के बाद बची हुई बाती को तुलसी के पौधे के नीचे या किसी पवित्र स्थान पर रख सकते हैं।
- पवित्र स्थान की मिट्टी में मिलाएं: अगर बाती पूरी तरह जल चुकी है और बची हुई हो, तो इसे पवित्र स्थान की मिट्टी में मिला सकते हैं। इस प्रकार यह प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है।
4. चावल, रोली, हल्दी, कुमकुम
चावल, रोली, हल्दी, और कुमकुम पूजा के दौरान धार्मिक महत्व रखते हैं। यह सामग्रियाँ अक्सर बच जाती हैं। इनका उपयोग या नष्ट करना कुछ इस तरह से किया जा सकता है:
- तुलसी या पीपल के नीचे अर्पित करें: इन सामग्रियों को आप तुलसी या पीपल के नीचे अर्पित कर सकते हैं। यह बहुत शुभ माना जाता है।
- जल में प्रवाहित करें: इन सामग्रियों को आप किसी पवित्र जल स्रोत में प्रवाहित कर सकते हैं, जैसे नदी, तालाब या किसी जलाशय में।
5. फल और प्रसाद
पूजा के दौरान अर्पित किए गए फल और प्रसाद का बहुत महत्व है। अगर ये बच जाते हैं, तो इन्हें इस प्रकार उपयोग करना चाहिए:
- साझा करें: बचा हुआ प्रसाद और फल परिवार और आस-पड़ोस में प्रेमपूर्वक बाँटें। इससे न केवल अपार पुण्य मिलता है, बल्कि प्रसाद का सही उपयोग भी होता है।
- गाय, पक्षियों या अन्य पशुओं को अर्पित करें: अगर प्रसाद बच जाए, तो उसे गाय, बकरियाँ, कुत्ते या पक्षियों को अर्पित करें। यह एक महान कार्य है और जानवरों की सेवा का एक रूप है।
- कूड़े में न डालें: किसी भी स्थिति में, पूजा का प्रसाद या फल कूड़े में नहीं डालना चाहिए, क्योंकि यह अपवित्र माना जाता है।
6. पूजा में उपयोग किए गए कपड़े या वस्त्र
पूजा में उपयोग किए गए कपड़े या वस्त्र अक्सर साफ रहते हैं, लेकिन उन्हें कूड़े में डालना गलत होता है। आप इन कपड़ों का क्या कर सकते हैं:
- पुनः उपयोग करें: यदि वस्त्र साफ हैं, तो आप उन्हें अगली पूजा में पुनः उपयोग में ला सकते हैं।
- दान करें: यदि कपड़े अधिक उपयोग में नहीं आ सकते, तो इन्हें किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर सकते हैं।
7. प्लास्टिक और गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बचें
पूजा में प्लास्टिक या नॉन-बायोडिग्रेडेबल चीजों का उपयोग करना पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि पूजा सामग्री में जितना संभव हो, प्राकृतिक या बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का ही उपयोग करें। इससे न केवल पूजा का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
निष्कर्ष:
पूजा के बाद बची हुई सामग्री का सही तरीके से उपयोग न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होता है। इस प्रकार, हम न केवल अपने धार्मिक कर्तव्यों को सही तरीके से निभाते हैं, बल्कि प्रकृति और जीवन के प्रति भी सम्मान दिखाते हैं। पूजा की सामग्री का सही उपयोग करना हमारे आंतरिक विकास और पर्यावरण की रक्षा में मदद करता है।
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