सावन पुत्रदा एकादशी 2025: महत्व, व्रत विधि और मुहूर्त विवरण

संतान सुख, उसकी खुशहाली, उन्नति और जीवन के संकटों से रक्षा के लिए महिलाएं वर्ष भर विभिन्न व्रतों का पालन करती हैं। इन्हीं व्रतों में एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली व्रत है – सावन पुत्रदा एकादशी (sawan putrada ekadashi)।
हर एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, परंतु सावन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, जिसका संबंध संतान सुख और उसकी भलाई से जुड़ा होता है।
व्रत का महत्व:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का फल संतान प्राप्ति, उसके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि के रूप में मिलता है। संतान की कामना रखने वाली महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत का पालन करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा से संतान संबंधी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
व्रत की तिथि और समय (2025):
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 4 अगस्त 2025, सुबह 11:41 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 5 अगस्त 2025, दोपहर 01:12 बजे
- व्रत तिथि (उदय तिथि अनुसार): 5 अगस्त 2025
पूजन एवं शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त में पूजा: सुबह 04:20 बजे से 05:02 बजे तक
- रवि योग: सुबह 05:45 बजे से 11:23 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:54 बजे तक
- शाम का पूजन मुहूर्त: शाम 07:09 बजे से 07:30 बजे तक
व्रत पारण (उपवास खोलने का समय):
- 6 अगस्त 2025, सुबह 05:45 बजे से 08:26 बजे तक
व्रत की विधि:
- प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान श्रीविष्णु की प्रतिमा या चित्र पर पीले पुष्प, धूप, दीप, तिलक, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- कथा वाचन या श्रवण करें।
- दिन भर व्रत रखें – निर्जला या फलाहार अनुसार।
- रात्रि को श्रीहरि का भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि (अगले दिन) को व्रत का पारण करें।
क्यों मनाई जाती है यह एकादशी?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है। यह व्रत न केवल मोक्षदायक होता है, बल्कि संतान, धन-समृद्धि, यश और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला भी माना जाता है। विशेषकर सावन माह की पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत शुभ अवसर होता है, जो संतानहीन दंपतियों के लिए वरदान स्वरूप माना गया है।
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