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आंवला नवमी: पैसे की तंगी दूर करने के लिए ऐसे करें पूजन

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर कोई व्यक्ति आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर उसका पूजन करता है तथा वहां भोजन बनाकर दूसरों को प्रसाद स्वरुप भोजन कराता है और खुद भी वह भोजन ग्रहण करता है तो इससे कभी भी दरिद्रता घर पर नहीं आती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि तथा आरोग्यता आती है।

धार्मिक मान्यता तथा व्रत कथा

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने आयीं। यहां पर उनके मन में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने का विचार आया। माता लक्ष्मी ने सोचा कि ऐसा कौन सा वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर वह दोनों भगवानो की पूजा कर सकती है। तब माता लक्ष्मी ने सोचा जिस प्रकार तुलसी भगवान विष्णु और बेल भगवान शंकर के प्रिय पेड़ हैं। इन दोनों बेल और तुलसी के गुण आंवले में पाए जाते हैं तो क्यों ना आंवले के पेड़ पर बैठकर पूजा की जाए। यह सोच कर मां लक्ष्मी ने विधिवत आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की तथा वहां भोजन पकाया। माता लक्ष्मी की इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव और भगवान विष्णु ने उन्हें अपने दर्शन दिए। जिस दिन माता लक्ष्मी ने यह पूजा कि उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। इसलिए इसे आंवला नवमी भी कहने लगे।

पूजन विधि

इस दिन सूर्योदय के समय स्नान करके आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा दीप प्रज्जवलित करें। उसके बाद वृक्ष की सात परिक्रमा करें। वृक्ष के नीचे बैठ कर यह कथा कहनी चाहिए। इसके बाद अगर हो सके तो आप उसी पेड़ के नीचे भोजन बनाएं तथा दूसरों को प्रसाद स्वरूप वितरित करें। इस दिन आंवले का दान भी करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होती है तथा आप के घर में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है।

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