कंप्यूटिंग की दुनिया में आई क्रांति – जानिए क्या है क्वांटम सुप्रीमेसी
क्वांटम सुप्रीमेसी (Quantum Supremacy) एक ऐसा शब्द (term) है जिसका आजकल बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहा है। बहुत जगह क्वांटम सुप्रीमेसी चर्चा का विषय भी बना हुआ है। तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं कि क्या होती है क्वांटम सुप्रीमेसी और आखिर किस तरह से यह हमारे भविष्य को प्रभवित करेगी।
आपको बता दें इस समय दुनिया का सबसे ताकतवर और सबसे एडवांस सुपरकंप्यूटर आईबीएम समिट (IBM SUMMIT) है। इसे OLCF-4 भी कहते हैं। आईबीएम कंपनी ने इस सुपर कंप्यूटर को नवंबर 2018 में लांच किया था। यह अभी तक दुनिया का सबसे ताकतवर सुपर कंप्यूटर माना जाता था। जिसकी स्पीड की अगर बात करें तो 200 petaFLOPS तथा इसकी हाई स्पीड exaop (quintillion operations per second) और इसकी स्टोरेज कैपेसिटी 250pb है।
अभी कुछ दिन पहले 23 अक्टूबर 2019 को गूगल ने इस बात की घोषणा करी है कि उन्होंने क्वांटम कंप्यूटर (Quantum Computer) बना लिया है। इस क्वांटम कंप्यूटर का नाम है साइकामोर (Sycamore)। क्वांटम सुप्रीमेसी के द्वारा गूगल ने इस बात को सांकेतिक रूप से प्रदर्शित किया है कि क्लासिकल कंप्यूटर (Classical Computers) का दौर अब बीतने वाला है और क्वांटम कंप्यूटिंग का दौर शुरू होने वाला है।
आपको बता दें कि कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की टीम ने एक कंपलेक्स मैथमेटिकल इक्वेशन की कंपलेक्स प्रॉब्लम सॉल्व करने को दी। जिसे गूगल के क्वांटम कंप्यूटर ने इस कंपलेक्स प्रॉब्लम को 200 सेकंड के अंदर सॉल्व कर दिया। अब आपको यह लगेगा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है? तो आपको बता दें कि इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि गूगल का दावा है कि दुनिया में मौजूद सबसे पावरफुल सुपर कंप्यूटर को भी यह कंपलेक्स प्रॉब्लम सॉल्व करने में लगभग दस हज़ार साल (10000 साल) का वक्त लगेगा, जिसे उनके क्वांटम कंप्यूटर साइकामोर ने सिर्फ 200 सेकेंड के अंदर सॉल्व कर दिया। हालाँकि आईबीएम का कहना है कि गूगल इसे ज्यादा बढ़ा – चढ़ा कर बता रहा है और अगर उनके क्लासिकल कंप्यूटिंग पर आधारित सुपर कंप्यूटर की अल्गोरिथम में बदलाव किया जाए तो वह भी इस काम्प्लेक्स प्रॉब्लम को 2.5 दिनों में सॉल्व कर सकता है।
गूगल का क्वांटम कंप्यूटर साइकामोर प्रोसेसर वाला एक क्वांटम कंप्यूटर है जो कि 54 क्यूबिट पर काम करता है। अब आप सोचेंगे कि बिट तो अपने सुना है या आपको पता है लेकिन यह क्यूबिट क्या बला है? तो यहां आपको बताना जरूरी है कि क्यूबिट (qubit) एक क्वांटम कंप्यूटर में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे छोटी यूनिट है। अब तक जो हम सुनते या पढ़ते आए हैं उसमें कंप्यूटर के अंदर सिर्फ बिट (0 या 1) का ही इस्तेमाल होता है क्योंकि हमारे कम्प्यूटर्स क्लासिकल कंप्यूटिंग पर आधारित हैं।
दूसरी जगह क्वांटम कंप्यूटर में क्यूबिट का इस्तेमाल होता है। यहाँ क्यूबिट की वैल्यू न सिर्फ 0 या 1 हो सकती है बल्कि यह पूर्ण या आंशिक / पार्शियल (partial) रूप से 0, 1 या दोनों भी हो सकती है। यहाँ पर क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत सुपर पोजीशंस का अनुसरण होता है। यहाँ पर हम सुपर पोजीशंस की बात कर रहे हैं जिसमे सुपर पोजीशंस में हर एक पॉसिबल स्टेट हो सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि यहां पर किसी भी चीज का जवाब सिर्फ हां और ना के अलावा भी बहुत कुछ हो सकता है।
सुपर पोजीशन की अगर बात की जाए तो जिस तरह एक क्लासिकल बिट के अंदर वैल्यू / पोजीशन 0 या 1 होती है, उसी तरह एक क्यूबिट के अंदर जो पोजीशन होती है वह अप, डाउन या दोनों यानि की तीनों ही वैल्यू हो सकती हैं। क्वांटम को जब हम ऑब्ज़र्व कर रहे होते हैं तब वो पार्टिकल की तरह बर्ताव करते हैं जबकि क्वांटम को जब हम ऑब्ज़र्व नहीं कर रहे होते हैं तो वो वेव की तरह बर्ताव करते हैं। दरअसल हर एक क्वांटम पार्टिकल अपनी हर एक पॉसिबल स्टेट के अंदर मौजूद रह सकता है। जिसको हम वेव फंक्शन के द्वारा निकाल सकते हैं।
अब आपको बताते हैं कि क्वांटम कंप्यूटर किस तरह से हमारे लिए उपयोगी (beneficial) हो सकते हैं। साथ ही यह भी बताएँगे कि भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग क्या बदलाव लेकर आएगा? भविष्य में जितने भी कंप्यूटर क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित होंगे उनमें हैकिंग लगभग नामुमकिन होगी। यह इतनी ज्यादा सिक्योर क्रिप्टो एनक्रिप्टेड (crypto encrypted) होगी कि दुनिया में कोई भी हैकर उसको हैक नहीं कर सकेगा। इसके अलावा कई सारे कंपलेक्स केमिकल इक्वेशंस जो कि आज तक सॉल्व नहीं हो पाई हैं वो भी आसानी से सॉल्व हो जाएंगी। साथ ही स्पेस एक्सप्लोरेशन, बिग डाटा एनालिसिस, मशीन लर्निंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस इत्यादि में भी अनंत संभावनाओं के द्वार क्वांटम कंप्यूटिंग के द्वारा खुल जाएंगे। क्वांटम कंप्यूटर में पॉसिबिलिटीज है इसीलिए इसमें बहुत ज्यादा स्कोप या संभावनाएं भी है।
अंत में यह बताना जरूरी है कि गूगल ने कहा है कि हमने जो क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल है यह सिर्फ इस बात को साबित करने के लिए है कि दुनिया ने इस ओर कदम बढ़ा दिया है और भविष्य में इस टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं हैं । यह मौजूदा क्लासिकल कंप्यूटिंग आधारित कंप्यूटर की लिमिटेशन से बहुत आगे तक जाकर काम कर सकती है।
उन्होंने जो डेमोंसट्रेशन दुनिया को दिया है यह उसी प्रकार है जैसे कि राइट बंधुओं ने जो हवाई जहाज को लेकर अपना डेमोंसट्रेशन दिया था। उसमे उन्होंने सिर्फ एक प्रोटोटाइप दिखाया था और साबित किया था कि इंसान भी आसमान में उड़ सकता है। उनकी डेमोंस्ट्रेशन में जो फ्लाइट थी वह कमर्शियल फ्लाइट नहीं थी। उसमें कोई भी पैसेंजर नहीं था । उन्होंने इस दुनिया के सामने सिर्फ यह साबित किया था कि एक इंसान चाहे तो वह भी उड़ सकता है। इसी प्रकार क्वांटम कंप्यूटिंग में अभी सिर्फ आगाज हुआ है। जब इसमें और ज्यादा बढ़ावा और प्रोत्साहन मिलेगा तब इसमें और बेहतरी आएगी।
आपको बता दें कि एक समय था जब दुनिया की सबसे बेशकीमती चीजों में तेल का नाम लिया जाता था और आज के समय में अगर किसी से पूछा जाए कि दुनिया में सबसे कीमती चीज क्या है तो सब का एक ही जवाब होता है डाटा। डाटा ही एक मात्र बेशकीमती चीज है जिसके लिए कंपनियां लाखों करोड़ों डॉलर खर्च करती हैं। वह चाहती हैं कि उनके पास जो डाटा हो वह इतना ज्यादा सटीक, अच्छा, रोबस्ट और इफेक्टिव हो कि वह हर एक छोटी से छोटी जानकारी भी उससे निकाल सके। साथ ही इसका प्रयोग बिज़नेस इंटेलिजेंस में भी हो सके। वैसे क्वांटम कंप्यूटिंग आधारित कमर्शियल कम्प्यूटर्स को मार्किट में आने में अभी लगभग एक दशक से ज्यादा का वक़्त लग सकता है।
यह आर्टिकल राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हरिद्वार के वरिष्ठ फैकल्टी श्री निखिल रंजन जी द्वारा प्राप्त हुआ है। इस आर्टिकल पर आधारित आप अपनी राय या सुझाव कमेंट बॉक्स में लिख कर साझा कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट या यूट्यूब चैनल पर भी जा सकते हैं।