पितृ पक्ष (pitr paksha): जाने श्राद्ध (shradh) की प्रमुख तिथियां
सनातन धर्म में पितृ पक्ष (pitr paksha) अथवा श्राद्ध (shradh) को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज (पितृ) पृथ्वीलोक पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में इस दौरान पितरों के निमित पिंडदान और श्राद्धकर्म आदि किए जाते हैं ताकि उनकी आत्मा तृप्त हो सकें। आज हम आपको श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में बताएँगे। साथ ही इसकी जानकारी भी देंगे की किसका श्राद्ध करने के लिए कौनसी तिथि उत्तम मानी गई है।
श्राद्ध की तिथियां:
प्रतिपदा तिथि – इस तिथि पर विशेषतः नाना-नानी का श्राद्ध किया जाता गया है। ऐसे में यदि किसी को अपने नाना-नानी की तिथि याद नहीं है, तो श्राद्ध पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर उनका श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।
पंचमी तिथि – जिस भी व्यक्ति की मृत्यु विवाह होने से पहले हो जाती है, उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है।
नवमी तिथि – पितृ पक्ष की नवमी तिथि उन महिलाओं के श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है, जिनका देहांत पति के रहते हो जाता है, अर्थात जिनकी मृत्यु विवाहित रूप में होती है। इसी के साथ यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है, इसलिए इसे कई जगह पर मातृ-नवमी भी कहा जाता है। ऐसे में नवमी तिथि पर कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध किया जा सकता है।
एकादशी और द्वादशी तिथि – एकादशी और द्वादशी तिथि पर उन सभी लोगों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिन्होंने संन्यास धारण किया हो।
चतुर्दशी और त्रयोदशी तिथि – शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु शस्त्र, आत्महत्या, विष या फिर किसी दुर्घटना के कारण हुई है। अर्थात जिस भी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो, चतुर्दशी पर उनका श्राद्ध किया जाता है । वहीं बच्चों श्राद्ध के लिए त्रयोदशी तिथि उत्तम मानी गई है।
अमावस्या तिथि – आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर पितृ पक्ष अथवा श्राद्ध की समाप्ति होती है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप किसी कारणवश पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं, तो ऐसी स्थिति में सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है। अर्थात सभी ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का श्राद्ध इस तिथि पर किया जाता है।
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