माघ पूर्णिमा (magh purnima) विशेष : जाने क्यों है इसका महत्त्व ?
माघ पूर्णिमा (magh purnima) के दिन पानी में होता है भगवान विष्णु का वास इसलिए तीर्थ स्नान और दान से मिलता है अक्षय पुण्य सूर्य पूजा । गंगा स्नान करने का विधान न कर पाएं, तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लेने से पुण्य मिल जाता है।
कल 12 फरवरी, बुधवार को माघ महीने की पूर्णिमा है। इस तिथि को पुराणों में पर्व कहा गया है। इस दिन गंगा स्नान करने का विधान है। न कर पाएं, तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लेने से पुण्य मिल जाता है।
इस दिन दान देने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि बढ़ती है। पुराणों का कहना है इस पर्व पर किए गए शुभ कर्मो दान पुण्य करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
मान्यता है कि माघ महीने में देवता पृथ्वी पर मनुष्य रूप धारण कर प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। ये ही वजह है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है।
इस पूर्णिमा पर स्नान-गौदान, हवन, व्रत और जाप किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में नहाएं। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल मिलाकर स्नान करें अथवा यह बोलकर सभी पवित्र नदियों को आमंत्रित करें।
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी, कृपया इस जल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।
स्नान के बाद दान अवश्य करें तभी स्नान का फल मिलता है और गौदान सबसे बड़ा और पवित्र दान है गौसेवा हेतु गौदान करें।
दान देने से पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और दान का फल आपको केवल इस जन्म ही नहीं बल्कि कई जन्मों तक भी मिलता है. यहां तक कि मरने के बाद भी दिए गए दान का फल प्राप्त होता है और स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है. वहीं दान-दक्षिणा करने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताई गई बातें/उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। ekaanshastro यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग कर निर्णय लें। ekaanshastro अंधविश्वास के खिलाफ है।