Mahashivratri 2025 महाशिवरात्रि पर शिवलिंग व जल अर्पण की विधि
Mahashivratri 2025: शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से जल अर्पित करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। जल धारा भगवान शिव को प्रिय है, और सही नियम से अर्पित करने पर भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
1. जल अर्पण की दिशा
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाना चाहिए। उत्तर दिशा को शिवजी का बायां अंग माना गया है, जो माता पार्वती को समर्पित है। इस दिशा में जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
2. जल अर्पण के लिए उचित पात्र
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, चांदी और कांसे के पात्र सर्वोत्तम माने जाते हैं। स्टील के पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- तांबे का पात्र सबसे उत्तम होता है।
- तांबे के पात्र से दूध अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें दूध विष के समान हो जाता है।
3. जल अर्पण की गति
शिवलिंग पर जल धीरे-धीरे धार बनाकर चढ़ाना चाहिए। अधिक वेग से जल चढ़ाना उचित नहीं माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, पतली जलधारा से शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ होता है।
4. बैठकर जल अर्पण करें
जल अर्पण और रुद्राभिषेक करते समय बैठकर पूजा करनी चाहिए। खड़े होकर जल चढ़ाने पर जल के छींटे पैरों पर पड़ सकते हैं, जो अनुचित माना गया है।
5. जल में अन्य सामग्री न मिलाएं
भगवान शिव को जल अर्पित करते समय उसमें कोई अन्य सामग्री जैसे पुष्प, अक्षत, रोली आदि नहीं मिलानी चाहिए। इससे उनकी पवित्रता समाप्त हो जाती है।
- हालांकि, जल में गंगा जल, नर्मदा जल या अन्य किसी पवित्र नदी का जल मिलाना शुभ होता है।
6. अन्य सामग्रियों के बाद जल चढ़ाएं
यदि भगवान शिव को दूध, दही, शहद या अन्य कोई सामग्री अर्पित कर रहे हैं, तो उन्हें अलग से चढ़ाएं। उसके बाद ही जल अर्पण करें।
7. शुद्ध देसी गाय का दूध अर्पित करें
शिवलिंग पर केवल शुद्ध देसी भारतीय गाय का कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए। अन्य प्रकार के दूध का उपयोग करना वर्जित माना जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित महापर्व है। इस दिन श्रद्धा और पूर्ण समर्पण के साथ शिवलिंग का पूजन करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से शिवजी की पूजा-अर्चना करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।
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