क्या मासिक धर्म (Yoga during Periods) में योग करना सही है?

मासिक धर्म के दौरान योग करना (yoga during periods) एक ऐसा विषय है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके आराम को लेकर चर्चा में रहता है। यह समय शारीरिक और मानसिक रूप से विशेष होता है, और इस दौरान योग का अभ्यास करने से लाभ भी हो सकते हैं, बशर्ते कुछ सावधानियां बरती जाएं। आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं:
योग एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है, जो शरीर और मन को संतुलित करने में मदद करता है। मासिक धर्म के दौरान योग करना सही हो सकता है, यदि उचित आसनों का चयन किया जाए और शरीर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अभ्यास किया जाए।
योग के लाभ:
मासिक धर्म के दौरान योग के कुछ मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
- दर्द को कम करना: मासिक धर्म के दौरान पीठ और पेट में दर्द हो सकता है, जिसे योग द्वारा कम किया जा सकता है। विशेष रूप से पेट की मासपेशियों को आराम देना, और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करना दर्द को कम कर सकता है।
- मानसिक शांति: योग मानसिक शांति और तनाव को कम करने में मदद करता है, जो मासिक धर्म के दौरान बढ़ सकता है। गहरी सांस लेने से मानसिक संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
- रक्त परिसंचरण में सुधार: योग से शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे शरीर की ऊर्जा और सक्रियता बढ़ती है।
- थकान और तनाव को कम करना: मासिक धर्म के दौरान महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से थक सकती हैं, योग की मदद से इस थकान को कम किया जा सकता है और शरीर को आराम मिलता है।
योग के कुछ विशेष आसन जो मासिक धर्म में सहायक हो सकते हैं:
- बालासन (Child’s Pose): यह आसन शरीर को विश्राम देता है और पीठ और पेट के दर्द को कम करने में मदद करता है।
- सप्तांग योग (Seated Forward Bend): यह आसन पीठ के निचले हिस्से में खिंचाव पैदा करता है, जिससे मासिक धर्म के दर्द में राहत मिलती है।
- वृद्धासन (Viparita Karani): इस आसन में पैरों को दीवार पर रखें और पीठ के बल लेट जाएं। इससे रक्त संचार सही रहता है और आराम मिलता है।
- सर्वांगासन (Shoulder Stand) और हलासन (Plow Pose): ये दोनों आसन शरीर की ऊर्जा को पुनः सक्रिय करते हैं और मासिक धर्म के दौरान थकान को कम करने में मदद करते हैं।
- सुखासन और प्राणायाम: ध्यान और गहरी सांस लेने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है, जो मासिक धर्म के समय आमतौर पर बढ़ जाता है।
मासिक धर्म के दौरान योग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- हार्ड और इंटेन्सिव आसन से बचें: मासिक धर्म के दौरान भारी आसनों से बचना चाहिए जैसे वृक्षासन, धनुरासन, या उष्ट्रासन, क्योंकि इनसे शरीर में अधिक दबाव बन सकता है।
- तुरंत पेट के आसनों से बचें: पेट पर दबाव डालने वाले आसन, जैसे कि सेतु बंधासन या उर्ध्वमुख श्वानासन, मासिक धर्म के दौरान uncomfortable हो सकते हैं।
- संतुलित और हलके आसन करें: ऐसे आसन करें जो आरामदायक हों और शरीर को अत्यधिक थकान का कारण न बनें। साधारण आसन जैसे ताड़ासन या वृक्षासन अच्छे होते हैं।
- सुनें अपने शरीर की जरूरतों को: हर महिला का अनुभव अलग होता है, इसलिए जो चीज़ एक महिला के लिए आरामदायक हो, वह दूसरी के लिए नहीं हो सकती। अगर योग के दौरान आपको किसी प्रकार की असुविधा महसूस हो, तो तुरंत अभ्यास बंद कर दें।
- प्राकृतिक तरीके से योग करें: अत्यधिक शरीर को तनाव में डालने से बचें। मासिक धर्म में यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने शरीर को आराम दें और प्राकृतिक तरीकों से उसे संतुलित रखें।
निष्कर्ष:
मासिक धर्म के दौरान योग सही किया जा सकता है, यदि सही आसनों का चयन किया जाए और शरीर की आवश्यकता के अनुसार अभ्यास किया जाए। यह न केवल शारीरिक राहत देने वाला होता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
सावधानी के साथ योग अभ्यास करने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दर्द, तनाव और असुविधा से राहत मिल सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाएं अपने शरीर की सुनें और जिस समय उन्हें आराम की आवश्यकता महसूस हो, उसी समय विश्राम करें।
“योग में शांति और शारीरिक संतुलन है। यदि योग सही तरीके से किया जाए, तो मासिक धर्म के समय भी आराम और शांति प्राप्त की जा सकती है।”
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