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Akshay Tritya 2025 अक्षय तृतीया (आखातीज) पूजा का शुभ मुहूर्त और खरीदारी का समय

अक्षय तृतीया (akshay tritya 2025 akhyateej) हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन अबूझ, स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है – यानी किसी भी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। इसे आमतौर पर आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

🕉 अक्षय तृतीया तिथि और शुभ समय

  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल को सायं 5:32 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल को दोपहर 2:15 बजे
  • सूर्योदय व्यापिनी तिथि के कारण पर्व 30 अप्रैल (बुधवार) को मनाया जाएगा।

पूजन के लिए शुभ मुहूर्त

  • प्रातः 05:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
  • कुल शुभ अवधि: 6 घंटे 37 मिनट
  • इस समय में पूजन, गृह प्रवेश, नया कार्यारंभ आदि किए जा सकते हैं।

खरीदारी के लिए शुभ चौघड़िये

सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, वस्त्र, वाहन आदि की खरीदारी के लिए शुभ समय:

  1. प्रातः 05:41 बजे से 09:00 बजे तक
  2. प्रातः 10:39 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय” का अर्थ है – जो कभी क्षय न हो, यानी जो कार्य आज के दिन किए जाएं, उनका फल स्थायी और शुभ माना जाता है।
लोग इस दिन:

  • नया व्यापार शुरू करते हैं
  • गृह प्रवेश, नौकरी आरंभ, निवेश, या शादी-सगाई जैसे कार्य करते हैं
  • सोना-चांदी या कीमती वस्तुएं खरीदते हैं – जिससे सौभाग्य व समृद्धि आती है

पूजन और धार्मिक परंपराएं

  • भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है
  • मंदिर सजाए जाते हैं, धूप-दीप और आरती की जाती है
  • यह दिन समृद्धि, सुख और पुण्य का प्रतीक माना जाता है

दान एवं सेवा

इस दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फल देता है।
विशेष रूप से लोग:

  • गौशाला, मंदिरों में दान करते हैं
  • गरीबों को अन्न, वस्त्र, जलपात्र आदि वितरित करते हैं

मंत्र जप और पाठ

  • श्री विष्णु सहस्त्रनाम
  • गोपाल सहस्त्रनाम
  • श्रीराम रक्षा स्तोत्र, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा
  • रामचरितमानस, भगवद्गीता का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है

अक्षय तृतीया पूजन विधि

  1. प्रातः स्नान कर गंगाजल मिश्रित जल से शुद्धि करें
  2. पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति/चित्र स्थापित करें
  3. दूध, शहद, दही, घी, शक्कर व जल से अभिषेक करें
  4. भगवान को तुलसी पत्र, चंदन, अक्षत अर्पित करें
  5. देवी लक्ष्मी को कुमकुम, पुष्प व सुगंधित वस्तुएं चढ़ाएं
  6. केला, गुलाब, कमल, गेंदा आदि पुष्प व फल अर्पित करें
  7. जौ, गेहूं, तिल, चना दाल, खीर व मीठे पकवान का भोग लगाएं
  8. दीप, धूप, कपूर से आरती करें और संपूर्ण परिवार संग पूजा सम्पन्न करें

आप सभी को अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं! यह पावन अवसर आपके जीवन में संपन्नता, सौभाग्य और शांति लेकर आए।

अस्वीकरण: इस लेख में बताई गई बातें/उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। ekaanshastro यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग कर निर्णय लें। ekaanshastro अंधविश्वास के खिलाफ है।

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