Ganesh Chatruthi 2025: गणेश चतुर्थी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

गणेश चतुर्थी (ganesh chatruthi 2025) हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है, जिसे पूरे भारतवर्ष में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यद्यपि यह पर्व देश के अनेक हिस्सों में आयोजित होता है, किन्तु महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गोवा जैसे राज्यों में इसे विशेष भव्यता और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की महत्ता इस तथ्य से भी जुड़ी है कि पुराणों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नहर्ता, बुद्धि और ज्ञान के देवता भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था।
गणेश जी का स्वरूप अत्यंत अद्वितीय है। उनके गजमुख (हाथी के समान सिर) के साथ छोटे-छोटे नेत्र, विशाल कान और बड़े उदर का उल्लेख पुराणों में मिलता है। इसी कारण उन्हें “लंबोदर” भी कहा जाता है। वे विघ्नों को दूर करने वाले और मंगल कार्यों के आरंभ में सर्वप्रथम पूजित होने वाले देवता हैं। गणेश जी को गणों का अधिपति भी माना जाता है, इसलिए उन्हें “गणपति” कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त अपने घरों तथा सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में विशेष रूप से बड़े-बड़े मंडपों का निर्माण किया जाता है, जहाँ सजीव सजावट और रोशनी के बीच विशाल गणेश प्रतिमाएँ स्थापित होती हैं। इन मंडपों में प्रतिदिन गणपति की आरती, भजन-कीर्तन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भक्त श्रद्धापूर्वक गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें मोदक, लड्डू तथा दुर्वा अर्पित करते हैं, क्योंकि यह सब भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय हैं।
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सामूहिकता, एकता और उत्सवप्रियता की भावना भी उत्पन्न करता है। लोग सामाजिक भेदभाव भूलकर एक साथ पूजा और उत्सव में सम्मिलित होते हैं। इस अवसर पर बच्चे, युवा और वृद्ध सभी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
पूजा का यह क्रम सामान्यतः नौ या दस दिनों तक चलता है। इस अवधि के पश्चात “अनंत चतुर्दशी” के दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है। भक्तजन ढोल-नगाड़ों, नृत्य और भजनों के साथ गणपति बप्पा की प्रतिमा को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करते हैं। विसर्जन की इस परंपरा के साथ भक्त गणपति से प्रार्थना करते हैं कि वे पुनः अगले वर्ष घर-घर पधारें और सबके जीवन से विघ्नों का नाश करें।
अंततः गणेश चतुर्थी का यह पर्व भक्तों के जीवन में श्रद्धा, आनंद और ऊर्जा का संचार करता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। गणपति बप्पा मोरया के जयघोष से वातावरण गूँज उठता है और हर हृदय में नवचेतना का संचार होता है। बाप्पा के सभी भक्तो को हमारी ओर से गणेष चतुर्थी पर्व की ढेरों शुभकामनाएं।
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