गोलू – मोलू के हंसी के फव्वारे (सीरीज़ – 19)

गोलू – मोलू  के हंसी के फव्वारे -77
गोलू: अर्ज़ है:- रोज़ रोज़ वज़न नापकर क्या करना है, एक दिन तो सबने मरना है, चार दिन की है ज़िंदगी, खा लो जी भर के
मोलू: फिर?
गोलू: अगला जन्म फिर 3 किलो से शुरु करना है…..
गोलू – मोलू  के हंसी के फव्वारे -78
गोलू: ये कैसा खाना बनाया है तुमने, बिलकुल गोबर जैसा…..?
पत्नी:- हे भगवान, इस आदमी ने हर चीज़ चख रखी है….

गोलू – मोलू  के हंसी के फव्वारे -79
सब्जी वाला सब्ज़ी पर पानी छिड़क रहा था, काफ़ी देर हो गई,
गोलू ग़ुस्से में बोला: भाई साहब, अगर भिंडी को होश आ गया हो तो एक किलो दे दो…..
गोलू – मोलू  के हंसी के फव्वारे -80
पत्नी: अगर मेरी शादी किसी “राक्षस” से भी हो जाती तो मैं इतनी परेशान नहीं होती जितनी तुम्हारे साथ हूँ!!
गोलू: पगली ख़ून के रिश्तों में शादियाँ कहाँ होती है…!!
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