क्यों नहीं होती समान गोत्र में शादी

हिन्दू धर्म में सामान गोत्र में शादी करने की मनाही है। शास्त्रों के अनुसार हिन्दुओं को आठ भागों में बांटा गया है। और समस्त हिन्दुओ को इन आठों ऋषियों की सन्तानो के रूप में देखा जाता है। जब से समाज की कल्पना की गयी तब से ही हिन्दू धर्म में सामान गोत्र में शादी को वर्जित माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार समान गोत्र वाले लड़के लड़कियां एक तरह से भाई बहन ही है फिर चाहे उनके माता पिता अलग अलग ही क्यों न हो। हिन्दू धर्म के शादी के समय लड़के और लड़की के जन्मपत्री मिलायी जाती है। परन्तु क्या आप जानते है की कुंडली के साथ साथ तीन पीढ़ी तक के गोत्र भी मिलाये जाते है।

हिन्दू धर्म के अनुसार अगर सामान गोत्र में शादी होगी तो ऐसे दंपत्ति की संतान कमजोर होगी। तथा उसकी मानसिकता, जीवनशैली और सोच अपने माता पिता के जैसे ही होगी। उसमें कोई भी नयापन नहीं होगा।
आज की पीड़ी इसे धकियानूसी सोच कहती है। परन्तु अब विज्ञान ने भी हिन्दू धर्म की इस प्रथा को सही बताया है। विज्ञान के मुताबिक समान गोत्र में शादी होने पर संतान में अनुवांशिक दोष होने की सम्भावना ज्यादा होती है। साथ ही वो शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर ही रहता है। इससे इस बात की भी पुष्टि होती है की हजारों साल पुराना हिन्दू धर्म विज्ञान पर आधारित है।
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नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। अपने आप पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत प्रमाणित ट्रेनर या अन्य पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये

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