Awala Ekadashi 2025: आंवला एकादशी व्रत कथा
Awala Ekadashi 2025 vrat katha: राजा मांधाता ने महर्षि वशिष्ठ से ऐसा व्रत बताने का आग्रह किया जो मोक्ष प्रदान करे। वशिष्ठजी ने आमलकी एकादशी का वर्णन किया, जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष में आती है और इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट होते हैं।
पुरातन काल में वैदिश नामक नगर था, जहां चैतरथ नामक धर्मपरायण राजा का राज्य था। वहां के सभी निवासी विष्णु भक्त थे और एकादशी का व्रत रखते थे।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी पर राजा ने प्रजा सहित आंवले के वृक्ष का पूजन कर जागरण किया। उसी रात एक पापी बहेलिया भूख-प्यास से व्याकुल मंदिर में आ पहुंचा और वहां जागरण में सम्मिलित हो गया। कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हुई और पुण्य के प्रभाव से वह राजा विदूरथ के घर वसुरथ के रूप में जन्मा।
वसुरथ बड़ा होकर शक्तिशाली, दानी और धर्मपरायण राजा बना। एक दिन शिकार खेलते समय वह वन में मार्ग भटक गया और वहीं सो गया। पहाड़ी म्लेच्छों ने उसे घेरकर मारने का प्रयास किया, परंतु उनके सभी शस्त्र निष्फल हो गए। राजा के शरीर से एक दिव्य स्त्री प्रकट हुई जिसने म्लेच्छों का संहार कर दिया।
आकाशवाणी हुई कि यह विष्णु भगवान के आशीर्वाद और आमलकी एकादशी के व्रत का प्रभाव है। इस व्रत के करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताई गई बातें/उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। ekaanshastro यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग कर निर्णय लें। ekaanshastro अंधविश्वास के खिलाफ है।