क्यों बाँधा जाता है हाथ पर कलावा


हिन्दू धर्म में हाथ पर कलावा या मौली बाँधी जाती है। कोई भी विशेष पूजा के समय, हवन के समय या अन्य किसी महत्वपूर्ण काम को करते समय हाथ की कलाई पर ये कलावा बाँधा जाता है। ये कलावा केवल इंसान ही नहीं अपितु किसी निर्जीव वास्तु पर भी बाँधा जा सकता जैसे की आपके घर की तिजोरी, आपका वाहन इत्यादि।
आज हम जानेंगे कलावा या मौली बाँधने के धार्मिक और वैज्ञानिक पक्ष। धार्मिक रूप से जब भी कोई व्यक्ति पूजा करता है या सम्मिलित होता है तो उसके हाथ पर कलावा बाँधा जाता है जो की न सिर्फ त्रिदेव बल्कि उनकी त्रिशक्तियों का प्रतीक है।

हाथ पर बंधे कलावे को न सिर्फ एक लाल या केसरिया रंग का धागा माना जाता है अपितु ये एक रक्षा सूत्र होता है जो की हमे विषम परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति भी देता है। इस कलावे को पुरुष और कुंवारी स्त्री अपने दायीं कलाई पर धारण करते हैं जबकि विवाहित स्त्री इसे अपने बाएं कलाई पर धारण करती हैं।

अब इस कलावे के वैज्ञानिक पक्ष की बात करें तो कई शोधों से पता चला है की ये हमारी कलाई पर जहाँ बंधा होता है वहां से कई सारी नसों से रक्त का संचार होता है। ये कलावा उस रक्त संचार को सुचारु रखने में भी मददगार होता है। जिससे इंसान कई तरह की बीमारीओं से भी बचा रहता है।

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नोट: उपरोक्तसिफारिशोंऔर सुझावप्रकृतिमें सामान्यहैं। अपनेआप परप्रयोगकरने सेपहले एकपंजीकृतप्रमाणितट्रेनरया अन्यपेशेवरसे परामर्शकर सलाहलीजिये

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