क्यों नहीं खाते दूसरे का झूठा भोजन

भोजन तो हम सभी करते हैं परन्तु शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्यक्ति का झूठा भोजन करना वर्जित माना जाता है। हिन्दू धर्म में भोजन को ईश्वरीय दर्जा मिला हुआ है। इसी कारण ज्यादातर हिन्दू परिवारों में भोजन से पहले हाथ जोड़ कर पूजा भी की जाती है और ईश्वर का भोजन देने के लिए शुक्रिया भी किया जाता है। भोजन की देवी को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है।

वैसे तो भोजन को बनाते हुए उसकी शुद्धता और सात्विकता का ख्याल रखा ही जाता है पर साथ ही भोजन ग्रहण करते हुए भी हमे उसकी शुद्धता का ख्याल रखना चाहिए। भोजन हमेशा साफ़ धुले हाथों से साफ़ सुथरी जगह ही बनाना चाहिए। भोजन करने के दौरान टीवी देखना, संगीत सुनना तथा बातचीत करना निषेध माना गया है। किसी व्यक्ति का झूठा भोजन करना भी वर्जित माना गया है।
कई लोग कहते है की झूठा भोजन करने से प्यार बढ़ता है परन्तु ये कहीं से भी सही नहीं है। शास्त्रों के अनुसार झूठा भोजन करने से प्यार बढ़े न बढ़े अपितु उस व्यक्ति का दुर्भाग्य जरूर शुरू हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों की वाणी बहुत ही कर्कश हो जाती है तथा संबंधों में स्नेह कम होने लगता हैं। ऐसे लोगों के आस पास नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परिवार में भी कलेश इत्यादि होने लगते हैं। झूठा भोजन करने वाले व्यक्ति धन की कमी से ग्रस्त रहते हैं।
यदि आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो कृपया मुझे फॉलो करें ताकि आपको इसी प्रकार के लेख और खबरें तथा जानकारी मिलती रहे।
नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। अपने आप पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत प्रमाणित ट्रेनर या अन्य पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × one =