एक अधूरी शुरुआत: इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक
कल हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक की शुरुआत की। प्रधानमंत्री जी, उनकी सरकार और समस्त देशवासियों को बहुत बहुत बधाई।
अब आतें हैं सच्चाई के धरातल पर। आप खुद से के सवाल पूछिए की आप आखिरी बार अपने पोस्ट ऑफिस कब गए थे। जरा अपने पोस्ट ऑफिस का इंफ्रास्ट्रक्चर को याद कर के बतायें की वो कितना सक्षम है एक पेमेंट बैंक की सुविधा देने के लिए। अब ये भी जरा सोच लीजिये की जो बूढ़े सा डाकिया आपके यहाँ कभी कभी कोई चिट्टी या स्पीड पोस्ट देने आते हैं वो कितने सक्षम और कुशल हैं पेमेंट बैंक की सर्विसेस देने में। यकीन मानिये जो आप सोच रहे हैं ऐसा ही 70 से 80 प्रतिशत भारतियों का सोचना है। क्यूंकि उनका पोस्ट ऑफिस भी आपके शहर के पोस्ट ऑफिस जैसा ही है। और फिर भी अगर आपको हमारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा हो तो अगले हफ्ते अपने एरिया के पोस्ट ऑफिस जाकर अपना एक इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक में अकाउंट खुलवा कर देख लें।
भारत के बड़े शहरों और मेट्रो सिटीज को अगर छोड़ दें तो इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पोस्ट ऑफिस कहीं भी नहीं ठहरते। क्या हमारी सरकार का उद्देश्य केवल उन शहरों के गरीबों को बैंकिंग सेवा का लाभ देना है या फिर देश के दूर कोने में स्थित गाँव के गरीब या किसान को बैंकिंग सर्विस मुहैया करवाना है। यह सवाल आपके और सरकार के लिए है!
यह भी सरकार की एक ऐसी योजना है जो की नोटेबंदी और GST की भांति फ्लॉप शो होने जा रहीं है। हम निराशावादी नहीं हैं परन्तु कमियां देख कर आँखें बंद करने वालों में से भी नहीं हैं। हम सरकार के नेक मकसद या कार्यकुशलता पर सवाल नहीं कर रहे हैं। अपितु हम यह चाहते हैं की इसका भी हाल पिछली योजनाओ जैसा ना हो जाए जिसमें सरकार की नियत साफ़ होने के बावजूद बुरी तरह भद्द पिट गयी थी। आपका इस बारें में क्या कहना है। कमेंट कर के जरूर बताएं।
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नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। आप स्वयं पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत अथवा प्रमाणित ट्रेनर या अन्य किसी पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये।