karwa chauth special

करवा चौथ स्पेशल: सम्पूर्ण व्रत कथा और पूजा का शुभ मुहूर्त

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करवा चौथ के शुभ अवसर पर हमारे चैनल की और से सभी सुहागिनों को हमारा प्यार भरा नमस्कार। हम आपने चैनल की और से आपके अखंड सुहाग और सौभाग्य की तथा सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं। आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं करवाचौथ के पर्व से जुड़ी सम्पूर्ण व्रत कथा तथा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त। करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। आज की पूजा का शुभ मुहूर्त दिनांक 27 अक्टूबर 2018। पूजा के लिए सांय 5:36 से 6:54 बीच का समय सर्वोत्तम रहेगा। चाँद निकलने (चंद्रोदय) का समय रात्रि 8:01 मिनट का है।

करवा चौथ व्रत कथा

करवा चौथ के त्यौहार पर इसके व्रत की कथा का भी बड़ा महत्त्व होता है। इसकी कथा को भी व्रत के सामान फलदायी माना गया है। वैसे तो करवा चौथ की कई कथाएं प्रचलित हैं परन्तु सभी का मूल सार एक जैसा ही है। आज हम आपको करवा चौथ व्रत की कथा बताने जा रहे हैं जो की इस प्रकार है।

एक साहूकार था जिसके 7 लड़के और 1 लड़की थी। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुओ तथा विवाहित बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा। रात में जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी प्यारी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। तब बहन ने कहा की भाई अभी चाँद नहीं निकला है। चाँद के निकलने के उपरांत ही मैं उसको अर्ध्य देकर अपना उपवास तोडूंगी।

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत स्नेह रखते थे। उन्हें अपनी बहन को भूखा देख कर बहुत दुःख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए तथा वहां जाकर एक पेड़ पर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा देखो बहन चाँद निकल आया है। अब तुम चाँद को अर्ध्य देकर जल्दी से भोजन ग्रहण करो।

साहूकार के बेटी ने अपनी भाभियों से कहा देखो भाभी चाँद निकल आया है, इस पर उसकी भाभी ने कहा अभी चाँद नहीं निकला है। ये तो तुम्हारे भाई पेड़ पर अग्नि जला कर तुम्हे दिखा रहें है। परन्तु साहूकार की बेटी ने उनकी बातों को अनसुना कर अर्ध्य देकर पूजा कर ली तथा अपना उपवास तोड़ लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने के कारण विग्नहर्ता भगवान गणेश साहूकार की लड़की पर कुपित हो गए और जिसके कारण उस लड़की का पति बहुत बीमार पड़ गया। घर पर रखा सारा धन तथा संपत्ति उसकी बीमारी पर खर्च हो गया।

साहूकार की बेटी को जब अपने किये हुए दोषों का पता चला तो उसे बहुत पश्चताप हुआ। उसने गणेश जी की आराधना की और फिर से विधि विधान पूर्वक अगले साल की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया। उसने उपस्थित सभी लोगों का आदर सम्मान किया तथा उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा भक्ति देख कर भगवान गणेश उस पर प्रसन हो गए तथा उसके पति को जीवन दान प्रदान किया था उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त कर दिया। साथ ही उनके घर पर सुख समृद्ध से भर दिया।

कहते हैं की इस प्रकार जो भी सुहागिने लोभ, मोह, काम, क्रोध और लालच को त्याग कर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत पूरे विधि विधान से करती हैं, उन्हें सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति तथा वैभव की प्राप्ति होती है। ऐसी महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है।

तो मित्रो ये थी करवा चौथ की कथा। आपको यह जानकारी और व्रत कथा कैसी लगी? कमेंट कर के बताएं। श्री गणेशाये नमः।

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